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इस्लामी कला

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ताजमहल, आगरा. जिसे शाहजहाँ ने 1648 में अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसे 1983 में "भारत में इस्लामी कला का रत्न" एवं विश्व स्थरीय प्रशंसित निर्माण माना गया, तथा विश्व धर्तोहर स्थलों में गिना गया।"[1]

इस्लामी कला में आती हैं, सातवीं शताब्दी से आरंभ हुई कलाएं, जो कि उन लोगों द्वारा ( अनिवार्य रूप से मुस्लिम नहीं) जो कि मुस्लिम संस्कृति से जुडे़ क्षेत्रों में रहते थे; के द्वारा बढा़ई गईं। [2] इसमें सम्मिलित हैं वास्तुकला, सुलेखन, चित्रकारी एवं चीनी मिट्टी के कार्य।

इस्लामी नक्काशी के द्वारा कुरआन की आयतें खुदी हुई


संदर्भ

  1. "Taj Mahal". World Heritage List (English में). UNESCO World Heritage Centre. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. Marilyn Jenkins-Madina, Richard Ettinghausen, Oleg Grabar, Islamic Art and Architecture 650-1250, Yale University Press, ISBN 0300088698, p.3