आर्यभट्ट (उपग्रह)
संगठन | इसरो |
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लक्ष्य प्रकार | खगोल भौतिकी |
का उपग्रह | पृथ्वी |
लॉन्च तिथि | १९ अप्रैल १९७५ |
धारक रॉकेट | कॉसमॉस - ३एम |
कॉस्पर आई डी | 1975-033A |
द्रव्यमान | ३६० किलोग्राम |
शक्ति | ४६ वॉट सौर पटल से |
कक्षीय तत्व | |
व्यवस्था | पृथ्वी की निचली कक्षा |
झुकाव | ५०.७º |
कक्षीय अंतराल | ९६ मिनट |
भू - दूरस्थ | 619 किलोमीटर (385 मील) |
भू - समीपक | 563 किलोमीटर (350 मील) |
आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह है, जिसे इसी नाम के महान भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर नामित किया गया है। यह सोवियत संघ द्वारा १९ अप्रैल १९७५ को कॉसमॉस - ३एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन यार से प्रक्षेपित किया गया था।
यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्माण और अंतरिक्ष में उपग्रह संचालन में अनुभव प्राप्त करने हेतु बनाया गया था। ९६.३ मिनट कक्षा ५०.७ की डिग्री के झुकाव पर ६१९ किमी की भू - दूरस्थ और ५६३ किमी की भू - समीपक कक्षा में स्थापित किया गया था। यह एक्स - रे, खगोल विज्ञान और सौर भौतिकी में प्रयोगों के संचालन के लिये बनाया गया था। अंतरिक्ष यान १.४ मीटर व्यास का एक छब्बीस तरफा बहुभुज था। सभी (ऊपर और नीचे) चेहरे सौर कोशिकाओं के साथ कवर हैं। एक भारतीय बनावट के ट्रान्सफार्मर कि विफलता की वजह से कक्षा में ४ दिनों के बाद प्रयोग रूक गए। अंतरिक्ष यान से सभी संकेत आपरेशन के ५ दिनों के बाद खो गए थे। उपग्रह ने ११ फ़रवरी १९९२ पर पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश किया। उपग्रह की छवि १९७६ और १९९७ के बीच भारतीय रुपया दो पैसों के रिवर्स पर दिखाई दिया।[1]
विरासत
- यह नाम भारत के 5 वीं शताब्दी के खगोलशास्त्री और गणितज्ञ के नाम पर रखा गया था।
- उपग्रह की छवि 1976 और 1997 (पिक कैटलॉग) के बीच भारतीय दो रुपये के बैंकनोट्स के उलट दिखाई दी।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ जॉर्ज कुहाज (संपा॰). विश्व कागजी मुद्रा मानक कैटलॉग. ३ (१० संस्करण). क्रौस प्रकाशन.