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स्तनपान

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अंतर्राष्ट्रीय स्तनपान चिह्न
एक नवजात शिशु स्तनपान करते हुए महिला

महिला द्वारा अपने स्तनों से आने वाला प्राकृतिक दूध पिलाने की क्रिया को स्तनपान कहते हैं। यह सभी स्तनपाइयों में आम क्रिया होती है। स्तनपान शिशु के लिए संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती। महिला के दूध से यह शक्ति शिशु को प्राप्त होती है। महिला के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह तत्त्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते।[1] महिला के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आँत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। महिला के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं। वातावरण से मां की आंत में पहुंचे रोगाणु, आंत में स्थित विशेष भाग के संपर्क में आते हैं, जो उन रोगाणु-विशेष के खिलाफ प्रतिरोधात्मक तत्व बनाते हैं। ये तत्व एक विशेष नलिका थोरासिक डक्ट से सीधे महिला के स्तन तक पहुंचते हैं और दूध से बच्चे के पेट में। इस तरह बच्चा महिला का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है।

अनुमान के अनुसार 820,000 बच्चों की मौत विश्व स्तर पर पांच साल की उम्र के तहत वृद्धि हुई जिसे स्तनपान के साथ हर साल रोका जा सकता है। दोनों विकासशील और विकसित देशों में स्तनपान से श्वसन तंत्र में संक्रमण और दस्त के जोखिम को कमी पाई गयी है। [1][2] स्तनपान से संज्ञानात्मक विकास में सुधार और वयस्कता में मोटापे का खतरा कम हो सकती है।[3]

जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से महिला का दूध पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाले डायबिटीज की बीमारी अधिक होती है। उनमें अपेक्षाकृत बुद्धि विकास कम होता है। अगर बच्चा समय पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। अगर गाय का दूध पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया हो, तो उसे लीवर का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस हो सकता है। इसलिए छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए महिला का दूध श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।

स्तनपान के लाभ[संपादित करें]

शुरूआती एवं विशिष्ट स्तनपान का महत्त्व

बच्चे को स्तनपान कराने के कई लाभ होते हैं, जो बच्चे और माँ दोनों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। स्तनपान न केवल शिशु के लिए, बल्कि मां के लिए भी अनेक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यहाँ पर हम विस्तार से बात करेंगे कि स्तनपान कब, कैसे, और कितना कराना चाहिए[2]:

1. बच्चे के लिए लाभ:[संपादित करें]

पोषण: माँ का दूध बच्चे के लिए पूर्ण पोषण प्रदान करता है, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली: स्तनपान से बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जो उसे विभिन्न संक्रमणों से बचाती है।

पाचन: माँ का दूध पचाने में आसान होता है और इससे बच्चे को पेट की समस्याएँ कम होती हैं।

बौद्धिक विकास: शोध बताते हैं कि स्तनपान कराने वाले बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास बेहतर होता है।

2. माँ के लिए लाभ:[संपादित करें]

हॉर्मोनल लाभ: स्तनपान कराने से ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है, जो माँ और बच्चे के बीच के बंधन को मजबूत करता है।

वजन घटाने में सहायता: स्तनपान करने से माँ का वजन तेजी से घटता है।

स्वास्थ्य जोखिमों में कमी: स्तनपान से माँ में स्तन और अंडाशय के कैंसर का खतरा कम होता है।

स्तनपान कब कराएं[संपादित करें]

जन्म के तुरंत बाद: बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना चाहिए। यह पहले दूध (कोलोस्ट्रम) बच्चे के लिए बहुत लाभकारी होता है।

हर 2-3 घंटे: नवजात शिशु को हर 2-3 घंटे पर स्तनपान कराना चाहिए, दिन और रात दोनों समय।

मांग के अनुसार: कुछ बच्चों को अधिक बार स्तनपान की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए उनकी मांग के अनुसार स्तनपान कराएं।

स्तनपान कैसे कराएं[संपादित करें]

सही स्थिति: बच्चे को स्तनपान कराते समय सही स्थिति में होना जरूरी है। बच्चे का सिर और शरीर एक सीध में होना चाहिए।

स्तन का सही पकड़: बच्चे का मुंह बड़े हिस्से को पकड़े होना चाहिए, जिससे दूध सही तरीके से निकल सके और दर्द न हो।

आरामदायक माहौल: माँ को आरामदायक और शांत माहौल में स्तनपान कराना चाहिए।

कितना स्तनपान कराएं[संपादित करें]

पहले 6 महीने: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, बच्चे को पहले 6 महीने तक केवल स्तनपान कराना चाहिए, बिना किसी अतिरिक्त खाद्य या पेय पदार्थ के।

6 महीने के बाद: 6 महीने के बाद, स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार शुरू कर सकते हैं।

2 साल तक: स्तनपान को 2 साल या उससे अधिक समय तक जारी रखा जा सकता है, जो बच्चे और माँ दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

ध्यान देने योग्य बातें[संपादित करें]

स्तनपान की समस्याएं: यदि स्तनपान के दौरान किसी प्रकार की समस्या आती है, तो डॉक्टर या स्तनपान विशेषज्ञ से संपर्क करें।

माँ का आहार: माँ को संतुलित आहार लेना चाहिए, जिससे दूध की गुणवत्ता और मात्रा बनी रहे।

हाइड्रेशन: माँ को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए।

स्तनपान एक प्राकृतिक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो बच्चे और माँ दोनों के लिए फायदेमंद है। इसे सही तरीके से और सही समय पर करना बच्चे के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आवृत्ति[संपादित करें]

[4]मां के दूध का उत्पादन पहले दूध, कोलोस्ट्रम, केंद्रित होता है,शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुखय भूमिका निभाता है, जो केवल बहुत कम मात्रा में धीरे-धीरे शिशु के पेट क्षमता के विस्तार के आकार के साथ बढ़ता जाता है।दिन के समय मे एक स्तन से कम से कम १०-१५ मिनट तक चुसने देखा चाहिए।

स्तनपान कराने की स्थितियां[संपादित करें]

ही स्थिति और latching आवश्यक तकनीक से निपल व्यथा कि रोकथम और बच्चे को पर्याप्त दूध प्राप्त करने के लिए स्तनपान कराने की स्थितियां महतवपूर्ण है।

"पक्ष पलटा" बच्चे की स्वाभाविक प्रवृत्ति मुंह खुला के साथ स्तन की ओर मोड़ करने के लिए है; माताओं कभी कभी धीरे उनकी निप्पल के साथ बच्चे के गाल या होंठ पथपाकर एक स्तनपान सत्र के लिए स्थिति में ले जाते हैं, तो जल्दी से स्तन पर ले जती है,बच्चे को प्रेरित करने के द्वारा इस का उपयोग करते हैं जबकि उसके मुंह खुला हुआ है।[5] निपल व्यथा को रोकने और बच्चे को पर्याप्त दूध प्राप्त करने के लिये स्तन और परिवेश का बड़ा हिस्सा बच्चे के मुह के अन्दर होना ज़रुरी है।विफलता अप्रभावी स्तनपान मुख्य कारणों में से एक है और शिशु स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को जन्म दे सकते है।इसलिये चिकित्सक का परामर्श आवश्य लें।

एक महिला अपने शिशु को स्तनपान कराते हुए, कैंजाम्बरी, गीनिया-बिसाउ, 1973

स्तनों में लंप[संपादित करें]

स्तनपान के दौरान स्तनों में लम्प सामान्य बात है जो कि किसी छिद्र के बन्द होने से बन जाता है। दूध पिलाने से पहले (गर्म पानी से स्नान या सेक) सेक और स्तनों की मालिश करें (छाती से निप्पल की ओर गोल गोल कोमलता से अंगुली के पोरों से करें या पम्प द्वारा निकाल दें। बन्द छिद्र या नली को खोल लेना महत्वपूर्ण है नहीं तो स्तनों में इन्फैक्शन हो सकता है। यदि इस सब से लम्प न निकले या फ्लू के लक्षण दिखाई दें तो चिकित्सक का परामर्श लें।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "स्तनपान जरूरी है". पत्रिका.कॉम.
  2. "बच्चे को स्तनपान के लाभ: कब कैसे और कितना कराये". 21 अक्टूबर 2023.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]