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बनना

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बनना क्रि॰ अ॰ [सं॰ वर्णन, प्रा॰ वण्णन( = चित्रित होना, रचा जाना)]

१. सामग्री की उचित योजना द्वारा प्रस्तुत होना । तैयार होना । रचा जाना । जैसे, सड़क बनना, मकान बनना, संदूक बनना । मूहा॰—बना रहना = (१) जीता रहना । संसार में जीवित रहना । जैसे,—ईश्वर करे यह बालक बना रहे । (२) उपस्थित रहना । मौजूद रहना । ठहरा रहना । जैसे,—यह तो आपका घर ही है, जबतक चाहें आप बने रहें ।

२. किसी पदार्थ का ऐसे रूप में आना जिसमें वह व्यवहार में आ सके । काम में आने योग्य होना । जैसे,—रसोई बनना, रोटी बनना ।

३. ठीक दशा या रूप में आना । जैसा चाहिए वैसा होना । जैसे, अनाज बनना, हजामत बनना ।

४. किसी एक पदार्थ का रूप परिवर्तित करके दूसरा पदार्थ हो जाना । फेरफार या और वस्तुओं के मेल से एक वस्तु का दूसरी वस्तु के रूप में हो जाना । जैसे, चीनी से शर्बत बनना ।

५. किसी दूसरे प्रकार का भाव या संबंध रखनेवाला हो जाना । जैसे, शत्रु का मित्र बनना ।

६. खोई विशेष पद, मर्यादा या आधिकार प्राप्त करना । जैसे अध्यक्ष बनना, मंत्री बनना । निरीक्षक बनना ।

७. अच्छी या उन्नत दशा में पहुँचना । धनीमानी हो जाना । जैसे, वे देखते देखते बन गए ।

८. वसूल होना । प्राप्त होना । मिलना । जैसे,—अब इस आलमारी के पाँच रुपए बन जायेगे ।

९. समाप्त होना । पूरा होना । जैसे—अब यह तसवीर बन गई ।

१०. आविष्कार होना । ईजाद होना । निकलना । जैसे—आजकल कई नई तरह के टाइपराइटर बने हैं ।

११. मरम्मत होना । दुरुस्त होना । जैसे,—उनके यहाँ घड़ियाँ भी बनती है ओर बाइसिकलें भी ।

१२. संभव होना । हो सकना । जैसे,—जिस तरह बने, यह काम आज ही कर डालो । उ॰—बनै न बरनत बनी बराता ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—प्राणों पर या जान पर आ वनना = ऐसा संकट या कठिनता पड़ना जिसमें प्राण जाने का भय हो ।

१३. आपस में निभना । पटना । मित्रभाव होना । जैसे—आजकल उन लोगों में खूब बनती है ।

१४. अच्छा, सुंदर या स्वादिष्ट होना । जैसे—रँगने से यह मकान बन गया ।

१५. सुयोग मिलना । सुअवसर मिलना जैसे—जब दो आजमियों में लड़ाई होती है, तब तीसरे की ही बनती है । संयो॰ क्रि॰—आना ।—पड़ना ।

१६. स्वरूप धारण करना । जैसे,—थिएटर में बहुत अच्छा अफीमची बनता है ।

१७. मूर्ख ठहरना । उपहासास्पद होना । जैसे,—आज तो तुम खूब बने ।

१८. अपने आपको आधिक योग्य, गंभीर अथवा उच्च प्रमाणित करना । महत्व की ऐसी मुद्रा धारण करना जो वास्तविक न हो । जैसे,— वह छोकरा हम लोगों के सामने भी बनता है । संयो॰ क्रि॰—जाना । मुहा॰—बनकर = अच्छी तरह । भली भाँति । पूर्ण रूप से । उ॰—मनमोहन सों विछुरे इतही बनिकै न अबै दिन द्वै गए हैं । सखि वे हम वे तुम वेई बनो पै कछू के कछू मन ह्वै गए हैं ।—पद्माकर (शब्द॰) ।

१९. खूव सिंगार करना । सजना । सजावट करना । यौ॰—बनना सँवरना,बनना ठनना,= खूव अच्छी तरह अपनी सजावट करना । खूब श्रृंगार करना ।

बनना ^३ क्रि॰ सं॰ [हि॰ बाना(=व्याज) + ना(प्रत्य॰)] बनाना । ठानना । उ॰— तब नहिं सोचै इहि बिधि बानत । अब हो नाथ बुरौ क्यों मानत ।— नंद॰ ग्रं॰ पृ॰ २८२ ।