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विस्तार

विक्षनरी से

संज्ञा

फैलना, प्रसार होना, खिंचाव

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

विस्तार संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. लंबे या चौड़े होने का भाव । फैले होने का भाव । फैलाव । जैसे—(क) इस मकान का विस्तार कम है । (ख) तुम बातों का बहुत अधिक विस्तार करते हो ।

२. पेड़ की शाखा ।

३. गुच्छा ।

४. शिव का एक नाम ।

५. विष्णु का एक नाम ।

६. विवरण । पूरा ब्यौरा (को॰) ।

७. वृत्त का व्यास (को॰) ।

८. झाड़ी (को॰) ।