सामग्री पर जाएँ

"भारत में सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
अनुभाग जोड़ा
पंक्ति 19: पंक्ति 19:


== आर्य समाज ==
== आर्य समाज ==

{{Infobox organization
| image = Arya Samaj 2000 stamp of India.jpg
| caption = सन २००० में आर्यसमाज को समर्पित एक डाकटिकट
| logo =
| motto = "कृण्वन्तो विश्वमार्यम्"<br />(विश्व को आर्य (श्रेष्ठ) बनाते चलो।)
| formation = {{Start date and age|1875|04|10|df=yes|p=y}}<br />[[मुम्बई]])
| type = [[धार्मिक संगठन]]
| status = न्यास (Foundation)
| purpose = शैक्षिक, धार्मिक शिक्षा, अध्यात्म, समाज सुधार
| headquarters = [[नई दिल्ली]]
| coords = {{coord|26.4499|N| 74.6399|E|display=inline,title}}
| language = [[हिन्दी]]
| leader_title =
| leader_name =
| main_organ = [[परोपकारिणी सभा]]
| affiliations =
| remarks =
| name = आर्य समाज
| size = 200px
| abbreviation =
| founder = [[दयानन्द सरस्वती]]
| area_served =
| num_staff =
| num_volunteers =
| website = http://www.thearyasamaj.org
| native_name =
| image_size =
}}


आर्य समाज की स्थापना सन् १८७५ में तत्कालीन बॉम्बे में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की। आर्य समाज आंदोलन हिंदू धर्म पर पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभावों के विरुद्ध एक प्रतिक्रियावादी आंदोलन था। आर्य समाज का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
आर्य समाज की स्थापना सन् १८७५ में तत्कालीन बॉम्बे में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की। आर्य समाज आंदोलन हिंदू धर्म पर पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभावों के विरुद्ध एक प्रतिक्रियावादी आंदोलन था। आर्य समाज का मुख्यालय नई दिल्ली में है।

16:07, 26 अक्टूबर 2023 का अवतरण

भारत में सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन वे आंदोलन हैं जो पुनर्जागरण के दौरान तथा बाद में भारत के किसी भाग में या पूरे देश में सामाजिक या धार्मिक सुधार के लिए चलाए गए। इनमें ब्रह्म समाज आर्य समाज, प्रार्थना समाज, सत्य-शोधक समाज, एझाबा आंदोलन, दलित आंदोलन आदि प्रमुख हैं।

पृष्ठभूमि

ज्यों ज्यों एक समाज या राष्ट्र प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है उसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह अपनी कमियों को दूर करे। सामाजिक धार्मिक कुरीतियों और रूढ़ियों को दूर करना ही राष्ट्र को विकसित और प्रगति उन्मुख बना सकता है।

ब्रिटिश काल में जब भारतीय जनमानस अंग्रजों की दासता से बेचैन होने लगा तब भारतीय बुद्धिजीवियों ने यह महसूस किया कि दासता की बेड़ियों से मुक्त होने की लड़ाई में यह आवश्यक है की हम अपने भीतर को कमजोरियों को दूर करें। खुद को सामाजिक धार्मिक दृष्टि से परिष्कृत करें ताकि अंग्रजों के विरुद्ध युद्ध में हम मजबूती से मुकाबला कर सकें।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में अठारहवीं सदी के अंतिम और उन्नीसवीं सदी के शुरुआती दौर में सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलनों की एक पूरी श्रृंखला शुरू हुई जिसका काफी अहम परिणाम भारतीय स्वतंत्रता के रूप में मिला।


ब्रह्म समाज

ब्रह्म समाज आंदोलन भारतीय समाजिक धार्मिक सुधार आंदोलनों में अग्रगण्य स्थान रखता है। ब्रह्म समाज को उत्पत्ति १८१५ में आत्मीय सभा के रूप में हुई जो १८२८ में ब्रह्म समाज के रूप में परिवर्तित हो गई।ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय और द्वारकानाथ टैगोर थे। आगे चलकर देवेंद्रनाथ टैगोर और केशव चंद्र सेन ने समाज को आगे बढ़ाया। दोनो में आपसी मतभेदों के चलते समाज में दरार आ गई और केशव चंद्र सेन ने १८६६ में भारतवर्ष ब्रह्म समाज की स्थापना की।

ब्रह्म समाज ने वेदों और उपनिषदों की महत्ता को एक बार फिर से स्थापित किया। इसने एकेश्वरवाद और आत्मा की अमरता की बात की।

बारहमा समाज के प्रयासों का ही परिणाम था कि सन् १८२९ में लॉर्ड विलियम बेंटिक ने सती प्रथा पर पाबंदी लगा दी और गैरकानूनी बना दिया। इसके अलावा समाज ने पर्दा प्रथा और बाला विवाह के खिलाफ भी समाजिक जागृति लाने का काम किया। परिणामस्वरूप जाति धर्म का भेद कम हुआ और महिलाओं की स्थिति में सुधार आए।

 आर्य समाज 

आर्य समाज

सन २००० में आर्यसमाज को समर्पित एक डाकटिकट
सिद्धांत "कृण्वन्तो विश्वमार्यम्"
(विश्व को आर्य (श्रेष्ठ) बनाते चलो।)
स्थापना 10 अप्रैल 1875 (149 वर्ष पूर्व) (1875-04-10)
मुम्बई)
संस्थापक दयानन्द सरस्वती
प्रकार धार्मिक संगठन
वैधानिक स्थिति न्यास (Foundation)
उद्देश्य शैक्षिक, धार्मिक शिक्षा, अध्यात्म, समाज सुधार
मुख्यालय नई दिल्ली
निर्देशांक 26°27′00″N 74°38′24″E / 26.4499°N 74.6399°E / 26.4499; 74.6399निर्देशांक: 26°27′00″N 74°38′24″E / 26.4499°N 74.6399°E / 26.4499; 74.6399
आधिकारिक भाषा
हिन्दी
मुख्य अंग
परोपकारिणी सभा
जालस्थल http://www.thearyasamaj.org

आर्य समाज की स्थापना सन् १८७५ में तत्कालीन बॉम्बे में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की। आर्य समाज आंदोलन हिंदू धर्म पर पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभावों के विरुद्ध एक प्रतिक्रियावादी आंदोलन था। आर्य समाज का मुख्यालय नई दिल्ली में है।

आर्य समाज वैदिक परंपराओं में विश्वास करता है।यह मूर्ति पूजा,अवतारवाद, बलि, कर्मकांड, अंधविश्वास ,छुआछूत और जातिगत भेदभाव का विरोध करता है और संसार के उपकार को ही अपना उद्देश्य मानता है।

उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक में आर्य समाज दो धड़ों में बंट गया। एक धड़ा पाश्चात्य शिक्षा का समर्थक था वहीं दूसरा धड़ा स्वदेशी शिक्षा का। पाश्चात्य शिक्षा के स्मर्थमको में लाला लाजपत राय और लाला हंसराज जैसे सुधारक थे जिन्होंने डीएवी नाम से शिक्षण संस्थान शुरू किए। प्राच्या शिक्षा के समर्थकों में प्रमुख स्वामी श्रद्धानंद थे जिन्होंने गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की थी।

आर्य समाज ने शिक्षा, समाज सुधार और राष्ट्रीय आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई।स्वदेशी आंदोलन, हिंदी सेवा विशेषतः देवनागरी का विकास आर्य समाज की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं।

 रामकृष्ण मिशन 

रामकृष्ण मिशन स्वामी रामकृष्ण परमहंस के नाम पर उनके परम शिष्य विवेकानंद के द्वारा स्थापित एक संस्था है जिसका उद्देश्य भारतीय समाज में सुधार लाना था।इसकी स्थापना सन् १८९७ में की गई थी।पश्चिम बंगाल के कोलकाता के समीप बेलूर में इसका मुख्यालय है।

रामकृष्ण मिशन का उद्देश्य नव वेदांत का प्रचार प्रसार करना है। यह मानव की सेवा को ही परोपकार और योग मानता है जो कि एक महत्वपूर्ण भारतीय दर्शन है।