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"हज़रत निज़ामुद्दीन": अवतरणों में अंतर

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== जीवनी ==
== जीवनी ==
हज़रत ख्वाज़ा निज़ामुद्दीन औलिया का जन्म [[१२३८]] में [[उत्तरप्रदेश]] के [[बदायूँ]] जिले में हुआ था। ये पाँच वर्ष की उम्र में अपने पिता, अहमद बदायनी, की मॄत्यु के बाद अपनी माता<ref name=khus>[http://www.indiainfoweb.com/delhi/mosques/hazrat-nizamuddin-auliya-dargah.html Nizamuddin Auliya]</ref>, बीबी ज़ुलेखा के साथ दिल्ली में आए। इनकी जीवनी का उल्लेख [[आइन--अकबरी]], एक १६वीं शताब्दी के लिखित प्रमाण में अंकित है, जो कि [[मुगल सम्राट]] [[अकबर]] के एक नवरत्न मंत्री ने लिखा था<ref name=ain>
हज़रत ख्वाज़ा निज़ामुद्दीन औलिया का जन्म [[१२३८]] में [[उत्तरप्रदेश]] के [[बदायूँ]] जिले में हुआ था। ये पाँच वर्ष की उम्र में अपने पिता, अहमद बदायनी, की मॄत्यु के बाद अपनी माता<ref name=khus>[http://www.indiainfoweb.com/delhi/mosques/hazrat-nizamuddin-auliya-dargah.html Nizamuddin Auliya]</ref>, बीबी ज़ुलेखा के साथ दिल्ली में आए। इनकी जीवनी का उल्लेख [[आइन--अकबरी]], एक १६वीं शताब्दी के लिखित प्रमाण में अंकित है, जो कि [[मुगल सम्राट]] [[अकबर]] के एक नवरत्न मंत्री ने लिखा था<ref name=ain>
[http://persian.packhum.org/persian/main?url=pf%3Ffile%3D00702015%26ct%3D50%26rqs%3D666 Nizamuddin Auliya] ''[[ऐन--अकबरी]]'', by [[अबू-अल-फ़ज़्ल इब्न मुबारक]], इसका अंग्रेजी अनुवाद “एच. ब्लोक्मैन” और “कर्नल एच.एस.जारेट” ने १८७३-१९०७ में किया। [[Asiatic Society of Bengal|The Asiatic Society of Bengal]], [[Calcutta]], Volume III, Saints of India. (Awliyá-i-Hind), page 365. "बहुतों ने उनके निर्देशन में आध्यात्मिक ऊँचाईयों को छुआ जैसे: शेख नसीरुद्दीन मोहम्मद चिरागी दिल्ली,[[अमीर खुसरो|मीर खुसरो]], शेख अलॉल हक्क, शेख अखी सिराज, [[बंगाल]] में, शेख वजिहूद्दीन यूसुफ़ [[चँदेरी]]में, शेख याकुब और शेख कमाल [[माल्वाह]]में, मौलना घियास धर में, मौलाना मुघिस उजैन में, हुसैन गुजरात में, शेख बर्हानुद्दीन गरीब, शेख मुन्ताखब, ख्वाब हस्सन [[डेक्कन|डेखां]] में "</ref>.
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१२६९ में जब निज़ामुद्दीन २० वर्ष के थे, वह अजोधर (जिसे आजकल [[पाकपट्टन]] शरीफ, जो कि पाकिस्तान में स्थित है) पहुँचे और सूफी संत [[फ़रीदुद्दीन गंजशकर|फरीद्दुद्दीन गंज-इ-शक्कर]] के शिष्य बन गये, जिन्हें सामान्यतः [[बाबा फरीद]] के नाम से जाना जाता था। निज़ामुद्दीन ने अजोधन को अपना निवास स्थान तो नहीं बनाया पर वहाँ पर अपनी आध्यात्मिक पढाई जारी रखी, साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली में सूफी अभ्यास जारी रखा। वह हर वर्ष रमज़ान के महीने में बाबा फरीद के साथ [[अजोधन]] में अपना समय बिताते थे। इनके [[अजोधन]] के तीसरे दौरे में बाबा फरीद ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया, वहाँ से वापसी के साथ ही उन्हें बाबा फरीद के देहान्त की खबर मिली।
१२६९ में जब निज़ामुद्दीन २० वर्ष के थे, वह अजोधर (जिसे आजकल [[पाकपट्टन]] शरीफ, जो कि पाकिस्तान में स्थित है) पहुँचे और सूफी संत [[फ़रीदुद्दीन गंजशकर|फरीद्दुद्दीन गंज-इ-शक्कर]] के शिष्य बन गये, जिन्हें सामान्यतः [[बाबा फरीद]] के नाम से जाना जाता था। निज़ामुद्दीन ने अजोधन को अपना निवास स्थान तो नहीं बनाया पर वहाँ पर अपनी आध्यात्मिक पढाई जारी रखी, साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली में सूफी अभ्यास जारी रखा। वह हर वर्ष रमज़ान के महीने में बाबा फरीद के साथ [[अजोधन]] में अपना समय बिताते थे। इनके [[अजोधन]] के तीसरे दौरे में बाबा फरीद ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया, वहाँ से वापसी के साथ ही उन्हें बाबा फरीद के देहान्त की खबर मिली।

18:11, 7 मार्च 2020 का अवतरण

हज़रत ख्वाजा निज़ामुद्दीन
हज़रत ख्वाजा निज़ामुद्दीन दरगाह
धर्म इस्लाम, सुन्नी इस्लाम, सूफ़ी, चिश्तिया तरीक़ा
अन्य नाम: निज़ामुद्दीन औलिया
वरिष्ठ पदासीन
क्षेत्र दिल्ली
उपाधियाँ महबुब-ए-इलाही
काल 1236-1325
पूर्वाधिकारी फरीद्दुद्दीन गंजशकर (बाबा फरीद)
उत्तराधिकारी नसीरुद्दीन चिराग़ देहलवी
वैयक्तिक
जन्म तिथि 1238
जन्म स्थान बदायुं, उत्तर प्रदेश
Date of death ३ अप्रैल, १३२५
मृत्यु स्थान दिल्ली

हजरत निज़ामुद्दीन (حضرت خواجة نظام الدّین اولیا) (1325-1236) चिश्ती घराने के चौथे संत थे। इस सूफी संत ने वैराग्य और सहनशीलता की मिसाल पेश की, कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुगल सेना ने हमला रोक दिया था, इस प्रकार ये सभी धर्मों के लोगों में लोकप्रिय बन गए। हजरत साहब ने 92 वर्ष की आयु में प्राण त्यागे और उसी वर्ष उनके मकबरे का निर्माण आरंभ हो गया, किंतु इसका नवीनीकरण 1562 तक होता रहा। दक्षिणी दिल्ली में स्थित हजरत निज़ामुद्दीन औलिया का मकबरा सूफी काल की एक पवित्र दरगाह है।

जीवनी

हज़रत ख्वाज़ा निज़ामुद्दीन औलिया का जन्म १२३८ में उत्तरप्रदेश के बदायूँ जिले में हुआ था। ये पाँच वर्ष की उम्र में अपने पिता, अहमद बदायनी, की मॄत्यु के बाद अपनी माता[1], बीबी ज़ुलेखा के साथ दिल्ली में आए। इनकी जीवनी का उल्लेख आइन-ए-अकबरी, एक १६वीं शताब्दी के लिखित प्रमाण में अंकित है, जो कि मुगल सम्राट अकबर के एक नवरत्न मंत्री ने लिखा था[2].

१२६९ में जब निज़ामुद्दीन २० वर्ष के थे, वह अजोधर (जिसे आजकल पाकपट्टन शरीफ, जो कि पाकिस्तान में स्थित है) पहुँचे और सूफी संत फरीद्दुद्दीन गंज-इ-शक्कर के शिष्य बन गये, जिन्हें सामान्यतः बाबा फरीद के नाम से जाना जाता था। निज़ामुद्दीन ने अजोधन को अपना निवास स्थान तो नहीं बनाया पर वहाँ पर अपनी आध्यात्मिक पढाई जारी रखी, साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली में सूफी अभ्यास जारी रखा। वह हर वर्ष रमज़ान के महीने में बाबा फरीद के साथ अजोधन में अपना समय बिताते थे। इनके अजोधन के तीसरे दौरे में बाबा फरीद ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया, वहाँ से वापसी के साथ ही उन्हें बाबा फरीद के देहान्त की खबर मिली।

चिल्ला निज़ामुद्दीन औलिया, हुमायून का मक़्बरा के करीब, दिल्ली.

निज़ामुद्दीन, दिल्ली के पास, ग़यासपुर में बसने से पहले दिल्ली के विभिन्न इलाकों में रहे। ग़यासपुर, दिल्ली के पास, शहर के शोर शराबे और भीड़-भड़क्के से दूर स्थित था। उन्होंने यहाँ अपना एक “खंकाह” बनाया, जहाँ पर विभिन्न समुदाय के लोगों को खाना खिलाया जाता था, “खंकाह” एक ऐसी जगह बन गयी थी जहाँ सभी तरह के लोग चाहे अमीर हों या गरीब, की भीड़ जमा रहती थी।

इनके बहुत से शिष्यों को आध्यात्मिक ऊँचाई की प्राप्त हुई, जिनमें ’ शेख नसीरुद्दीन मोहम्मद चिराग़-ए-दिल्ली” [3], “अमीर खुसरो”[2], जो कि विख्यात विद्या ख्याल/संगीतकार और दिल्ली सलतनत के शाही कवि के नाम से प्रसिद्ध थे।

इनकी मृत्यु ३ अप्रेल १३२५ को हुई। इनकी दरगाह, हजरत निज़ामुद्दीन दरगाह दिल्ली में स्थित है।[4],

वंशावली

  1. हजरत अब्राहिम
  1. हज़रत मुहम्मद
  2. हज़रत अली इब्न अबी तालिब
  3. हज़रत सईदना इमाम हुसैन इब्न अली
  4. हज़रत सईदना इमाम अली इब्न हुसैन ज़ैन-उल-आबेदीन
  5. हज़रत सईदना इमाम मोहम्म्द अल-बाक़र
  6. हज़रत सईदना इमाम ज़ाफ़र अल-सादिक़
  7. हज़रत सईदना इमाम मूसा अल-काज़िम
  8. हज़रत सईदना इमाम अली अर-रिदा (असल में, अली मूसा रज़ा)
  9. हज़रत सईदना इमाम मोहम्म्द अल-तक़ी
  10. हज़रत सईदना इमाम अली अल-नक़ी
  11. हज़रत सईदना जाफ़र बुख़ारी
  12. हज़रत सईदना अली अज़गर बुख़ारी
  13. हज़रत सईदना अबी अब्दुल्लाह बुख़ारी
  14. हज़रत सईदना अहमद बुख़ारी
  15. हज़रत सईदना अली बुख़ारी
  16. हज़रत सईदना हुसैन बुख़ारी
  17. हज़रत सईदना अब्दुल्लाह बुख़ारी
  18. हज़रत सईदना अली उर्फ़ दानियल
  19. हज़रत सईदना अहमद बदायनी
  20. हज़रत सईदना सय्यद शाह ख़्वजा निज़ामुद्दीन औलिया

आध्यात्मिक वंशावली

  1. पैगंबर हज़रत मुहम्मद
  2. अली इब्न अबी तालिब
  3. हसन अल-बसरी
  4. अब्दुल वाहिद बिन ज़ैद अबुल फ़ाध्ल
  5. फुधैल बिन इयाधबिन मसूद बिन बिशर तमीमी
  6. इब्राहीम बिन अद-हम
  7. हुज़ैफ़ा अल-माराशी
  8. अबु हुबैरा बर्सी
  9. इल्व मुम्शाद दिन्वारी
चिश्ती अनुक्रम का आरंभ
  1. अबू इस-हाक़ शमी
  2. अबू अहमद अब्दल
  3. अबू मुहम्म्द बिन अबी अहमद
  4. अबू यूसुफ़ बिन सामान
  5. मौदूद चिश्ती
  6. शरीफ़ ज़नदनी
  7. उस्मान हरूनी
  8. मौइनुद्दीन चिश्ती
  9. कुत्बुद्दीन बख्तियार काकी
  10. फ़रीदुद्दीन मसूद
  11. निज़ामुद्दीन औलिया


शाखाएं

  • नसीरिया
  • हुसैनिया
  • नियाज़िया
  • अश्रफ़िया
  • फ़रीदिया

औलिया को मिली उपाधियां

  • महबूब-ए-इलाही
  • सुल्तान-उल-मसहायक
  • दस्तगीर-ए-दोजहां
  • जग उजियारे
  • कुतुब-ए-देहली

उर्स

मुगल शाहज़ादी जहां आरा बेगम का मक़्बर (दायें), निज़ामुद्दीन औलिया क मक़्बरा (बायें), जमात खाना मस्जिद (पीछे), निज़ामुद्दीन दर्गाह समूह दिल्ली.

इनका उर्स (परिवाण दिवस) दरगाह पर मनाया जाता है। यह रबी-उल-आखिर की सत्रहवीं तारीख को (हिजरी अनुसार) वार्षिक मनाया जाता है। साथ ही हज़रत अमीर खुसरो का उर्स शव्वाल की अट्ठारहवीं तिथि को होता है।

दरगाह

दरगाह में संगमरमर पत्थर से बना एक छोटा वर्गाकार कक्ष है, इसके संगमरमरी गुंबद पर काले रंग की लकीरें हैं। मकबरा चारों ओर से मदर ऑफ पर्ल केनॉपी और मेहराबों से घिरा है, जो झिलमिलाती चादरों से ढकी रहती हैं। यह इस्लामिक वास्तुकला का एक विशुद्ध उदाहरण है। दरगाह में प्रवेश करते समय सिर और कंधे ढके रखना अनिवार्य है। धार्मिक गात और संगीत इबादत की सूफी परंपरा का अटूट हिस्सा हैं। दरगाह में जाने के लिए सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच का समय सर्वश्रेष्ठ है, विशेषकर वीरवार को, मुस्लिम अवकाशों और त्यौहार के दिनों में यहां भीड़ रहती है। इन अवसरों पर कव्वाल अपने गायन से श्रद्धालुओं को धार्मिक उन्माद से भर देते हैं। यह दरगाह निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन के नजदीक मथुरा रोड से थोड़ी दूरी पर स्थित है। यहां दुकानों पर फूल, लोबान, टोपियां आदि मिल जाती हैं।

अमीर खुसरो

अमीर खुसरो, हज़रत निजामुद्दीन के सबसे प्रसिद्ध शिष्य थे, जिनका प्रथम उर्दू शायर तथा उत्तर भारत में प्रचलित शास्त्रीय संगीत की एक विधा ख्याल के जनक के रूप में सम्मान किया जाता है। खुसरो का लाल पत्थर से बना मकबरा उनके गुरु के मकबरे के सामने ही स्थित है। इसलिए हजरत निज़ामुद्दीन और अमीर खुसरो की बरसी पर दरगाह में दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण उर्स (मेले) आयोजित किए जाते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Nizamuddin Auliya
  2. Nizamuddin Auliya आइन-ए-अकबरी, by अबू-अल-फ़ज़्ल इब्न मुबारक, इसका अंग्रेजी अनुवाद “एच. ब्लोक्मैन” और “कर्नल एच.एस.जारेट” ने १८७३-१९०७ में किया। The Asiatic Society of Bengal, Calcutta, Volume III, Saints of India. (Awliyá-i-Hind), page 365. "बहुतों ने उनके निर्देशन में आध्यात्मिक ऊँचाईयों को छुआ जैसे: शेख नसीरुद्दीन मोहम्मद चिरागी दिल्ली,मीर खुसरो, शेख अलॉल हक्क, शेख अखी सिराज, बंगाल में, शेख वजिहूद्दीन यूसुफ़ चँदेरीमें, शेख याकुब और शेख कमाल माल्वाहमें, मौलना घियास धर में, मौलाना मुघिस उजैन में, हुसैन गुजरात में, शेख बर्हानुद्दीन गरीब, शेख मुन्ताखब, ख्वाब हस्सन डेखां में "
  3. In The Name Of Faith द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, April 19, 2007.
  4. Nizamuddin Dargah - Location Wikimapia.

बाहरी कड़ियाँ